Friday, November 19, 2010

डायपर से लाल चकत्ते कैसे होते है ?

डायपर से लाल चकत्ते अपने बच्चे के ही मूत्र से ले कर नया भोजन तक किसी भी कारण से हो सकते हैं. कुछ कारणों की चर्चा हम आज कर रहे है . 


नमी: यहां तक कि सबसे शोषक डायपर आपके बच्चे की नाजुक त्वचा पर कुछ नमी छोड़ देता है. और जब आपके बच्चे का मूत्र मल के बैक्टीरिया के साथ घूल जाता है, तो यह टूट कर अपने रासायनिक रूपों मे अर्थार्त अमोनिया मे बदल जाता है , जो की आपके बच्चे की नाजुक त्वचा पर बहुत कठोर हो सकता है.


हालांकि एक बच्चे को अधिक समय के लिए गंदा डायपर में छोड़ दिया जाना भी लाल चकत्ते विकसित होने की संभावना बढा देता है. संवेदनशील त्वचा वाले बच्चे को खरोंच होने की संभावना बढ़ जाती है , भले ही उसके माता पिता डायपर परिवर्तन करने मे काफी मेहनत करते हो . 

रासायनिक संवेदनशीलता: आपके बच्चे के डायपर से लाल चकत्ते उसकी त्वचा के साथ रगड़ का परिणाम भी हो सकते है, डिस्पोजेबल डायपर में सुगंध या कपडे वाले डायपर के धोने वाले डिटर्जेंट से उन मे इस्तेमाल रसायनों के प्रति आपके बच्चे की त्वचा संवेदनशील हो सकती है. यह भी हो सकता है कि डायपर बदलने के लिए प्रयोग कर रहे लोशन या पाउडर, आपके बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए संवेदनशील हो .

नई खाद्य पदार्थ: यह बच्चों के लिए आम है की  बच्चो के  ठोस खाद्य पदार्थ खाने के  शुरू कर देने से  लाल चकत्ते  हो सकते है . किसी भी नए खाद्य से मल की संरचना, और  बच्चे का मल  बढ़ सकता है . यदि आप स्तनपान करा रहे हैं, तो माँ के खाने के खाद्य पदार्थ से भी बच्चे की  त्वचा प्रतिक्रिया कर सकती है.
संक्रमण: डायपर क्षेत्र गर्म और नम होता है -  बैक्टीरिया और खमीर को यह बहुत पसंद होता है . जीवाणु या खमीर का संक्रमण वहाँ पर  पनपने का संयोग बढ़  जाता है. 

इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाये, बच्चो मे  (या स्तनपान माताए जो एंटीबायोटिक दवाओं पर हैं) खमीर संक्रमण होने का संयोग बढा देते है   क्योंकि एंटीबायोटिक दवाये प्रतिजैविकों जीवाणु को  नष्ट कर देते हैं. एंटीबायोटिक दस्त भी करा सकते है , जो डायपर से होने वाले लाल चकत्ते में योगदान कर सकता है.

Thursday, November 18, 2010

गाय का दूध क्या बच्चे को दिया जा सकता है ?

गाय का दूध बच्चो को एक साल तक नहीं देना चाहिए . बच्चो का पाचन इतना बलवान नहीं होता की दूध मे उपलब्ध प्रोटीन (एक रासायनिक तत्व ) को पचा सके. गाय के दूध मे बहुत ज्यादा सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड होता है , जो आपके बच्चो के गुर्दे कर गलत प्रभाव दल सकता है. भलेही बच्चा गाय के दूध को पचा ले पर गाय के दूध मे सभी विटामिन और खनिज (विशेष रूप से विटामिन ई, जस्ता, लोहा और) नहीं होते है जो की उसके पहले साल में वृद्धि और विकास के लिए जरूरी है. बच्चे को गाय का दूध देना से लोहे की कमी हो सकती है और आंतरिक रक्तस्राव भी हो सकता है. और यह एलर्जी होने का खतरा भी बढ़ाते है.

एक बार अपने बच्चे का पाचन तंत्र तैयार हो जाता है, तो दूध उस के भोजन का शक्तिशाली सहयोगी बन जाता है. दूध कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन ए का एक बड़ा स्रोत है , दूध अपने बच्चो की हड्डियों और दांतों के निर्माण मे  मदद करता है और मांसपेशियों पर नियंत्रण को विनियमित करता है . लगभग सभी दूध मे विटामिन डी होता है , जो  शरीर मे कैल्शियम को अवशोषित करने मे मदद करता है जो आपके लाडले की हड्डियों के लिए जरूरी है .

दूध मे विकास और उर्जा के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट  होते है . यदि आपके बच्चे को पर्याप्त कैल्शियम मिलता है तो यह उस को उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, पेट के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों  का खतरा पूरी जिन्दगी के लिए कम कर देता है.