डायपर से लाल चकत्ते अपने बच्चे के ही मूत्र से ले कर नया भोजन तक किसी भी कारण से हो सकते हैं. कुछ कारणों की चर्चा हम आज कर रहे है .
नमी: यहां तक कि सबसे शोषक डायपर आपके बच्चे की नाजुक त्वचा पर कुछ नमी छोड़ देता है. और जब आपके बच्चे का मूत्र मल के बैक्टीरिया के साथ घूल जाता है, तो यह टूट कर अपने रासायनिक रूपों मे अर्थार्त अमोनिया मे बदल जाता है , जो की आपके बच्चे की नाजुक त्वचा पर बहुत कठोर हो सकता है.
हालांकि एक बच्चे को अधिक समय के लिए गंदा डायपर में छोड़ दिया जाना भी लाल चकत्ते विकसित होने की संभावना बढा देता है. संवेदनशील त्वचा वाले बच्चे को खरोंच होने की संभावना बढ़ जाती है , भले ही उसके माता पिता डायपर परिवर्तन करने मे काफी मेहनत करते हो .
रासायनिक संवेदनशीलता: आपके बच्चे के डायपर से लाल चकत्ते उसकी त्वचा के साथ रगड़ का परिणाम भी हो सकते है, डिस्पोजेबल डायपर में सुगंध या कपडे वाले डायपर के धोने वाले डिटर्जेंट से उन मे इस्तेमाल रसायनों के प्रति आपके बच्चे की त्वचा संवेदनशील हो सकती है. यह भी हो सकता है कि डायपर बदलने के लिए प्रयोग कर रहे लोशन या पाउडर, आपके बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए संवेदनशील हो .
नई खाद्य पदार्थ: यह बच्चों के लिए आम है की बच्चो के ठोस खाद्य पदार्थ खाने के शुरू कर देने से लाल चकत्ते हो सकते है . किसी भी नए खाद्य से मल की संरचना, और बच्चे का मल बढ़ सकता है . यदि आप स्तनपान करा रहे हैं, तो माँ के खाने के खाद्य पदार्थ से भी बच्चे की त्वचा प्रतिक्रिया कर सकती है.
संक्रमण: डायपर क्षेत्र गर्म और नम होता है - बैक्टीरिया और खमीर को यह बहुत पसंद होता है . जीवाणु या खमीर का संक्रमण वहाँ पर पनपने का संयोग बढ़ जाता है.
इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाये, बच्चो मे (या स्तनपान माताए जो एंटीबायोटिक दवाओं पर हैं) खमीर संक्रमण होने का संयोग बढा देते है क्योंकि एंटीबायोटिक दवाये प्रतिजैविकों जीवाणु को नष्ट कर देते हैं. एंटीबायोटिक दस्त भी करा सकते है , जो डायपर से होने वाले लाल चकत्ते में योगदान कर सकता है.
जानकारी के लिए धन्यवाद|
ReplyDeleteBAAS Voice का आमंत्रण :
ReplyDeleteआज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
http://baasvoice.blogspot.com/
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeletejankariparak post..... dhanywad
ReplyDeletevery good news way of infarmation i am very glad see yours blog rajnendra kashayap
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